Friday, April 2, 2010

चीळवो

एकर मंडी गियो  | चीळवा  कण निजर गी  | सब्जी आलो हेला पाड रियो हो  - " बथुओ .. रूपया "
महे कियो  " की बरस पेली ओ  तो  चीळवो ई बाजतो  , अब नाम किया बदलग्यो " |
"हिंदी में ये ही कहते है " उत्तर आयो कटेहु |
म्हे "बथुओ" ले-अर्  घरा आग्यो पण चीळवा री  मन माय रेगी ।

2 comments:

  1. हुकम, खुब बढिया लिख्यौ. औ बांच’र ईं अगर राजस्थानींयां रौ लोही उकाळा नीं मारै तौ समझौ ज्यूं राजस्थानी मांय हिंदी (उर्दु) री भेळ बणी है व्यूं इज उण मिनख रै रगत में ईं मुसलमान अर भईया लोगां रै लोही री भेळ बण चुकी है.

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