म्हारी मामा री बेटी-भाण रो एकर फोन आयो |
बा उतावळ माय केयो -- "दादभाई माय भूत बडग्यो"|
"किया ?" म्हे पूछ्यो |
"आज ताई दादभाई म्हारा हु हिंदी माय बात कोण करी,
काल अचाणचक फोन माथे किया करबा लाग्या ?" पडूतर आयो |
"दारू पिली होसी " म्हे कियो |
"ना ना पियेडा कोण हा, बामे भूत बडग्यो" ....
म्हारी आ भाण घणी पढेडी-भनेडी कोणी,
पण "हिंदी रे भूत" ने बेगी सी ओळख ली |
राज (राजस्थान) रा पढेडा-भनेडा बीरा तो इण भूत ने ओसकर पकड मेल्या ह !!!!!!
जय हो !
ReplyDeleteचिन्ता ना करो !
ओ भूत बेगो ई राजस्थान सूं निकळण आळो है !
जै-जै राजस्थान !
आपणो राजस्थान -आपणी राजस्थानी !
www.omkagad.blogspot.com
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ReplyDeleteहुकम, राजस्थान क्रांती मांगै. राष्ट्रवादी चेतणा राजस्थानीयां मांय जगाणी पड़ैला. इण भुत नै बेगा सूं बेगो राजस्थान सूं बारै जावण रौ रस्तौ दिखाणौ पड़ैला
ReplyDeleteआ जाण ने घणो हरख विह्यों के म्हाने टाळ ने एक दूजो तो ओरु मिल्यो जिको इण भूत सू आंती आयोड़ो छे. इण भूत ने राजस्थान सू बारे काढण री मन में हूंस राखे. जदी सगळा नी तो भी केई लोगा में भी आ हूंस भी वापर ज्यावे तो काम सोरो व्हे जावे. आपने घणा-घणा रंग ने लखदाद.
ReplyDeleteइण सू पेला क भुत हेपुतो निगल जावे भोपा जी ने केवो चोखी जाड़ दे .
ReplyDeleteपछे तो मान्खो ओ भूल ही जावे ला क कदी ओ बिना भुत बी खुद बन ने मजा सू जीवियो अर जस लियो हो .
हनवंतसिंघMarch 7, 2011 at 1:54 AM
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हुकम, कमेंट क्यूं रिमूव कर्यो सा ?
हुकुम म्हने तो एक इ वात केनी हे की आपाने सडका माते उतरनो पड़ेला ए बाता फगत इन्टरनेट माते करणा सु कई कोणी व्हेला ....
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