राजस्थान री प्राथमिक शिक्षा री स्थीति चरचा ही |
म्हारो मत हो के आ राजस्थानी माय नी होण सु घनकारा टाबर
रो विकास कोण होवे | इरो कारण ओ ह के टाबर रे घरा माय राजस्थानी वापरीजे |
म्हारी जाण हु इरो इलाज राजस्थानी माय शिक्षा हो |
पण एक "राजस्थानी" रो सुझाव सुण'र म्हारो माथो घुम्यो :-
"हरेक राजस्थानी को घर मे हिंदी बोलनी चाहिये और बच्चो के साथ भी
बोलनी चाहिये, ताकी बच्चो को स्कूल मे दिक्कत नही हो"|
ओ काई !!!!!!!!!
मणे Britain री महाराणी री एक बात याद आई |
जद भारत माय अकाल हो, थो कोई बीने कयो क भारत माय
लोगा कण रोटी कोणी खाण ताई | राणी रो पडूतर हो क रोटी कोणी थो
cake जीमो !!!!!!!
राणी गी पण आपणी बुद्धि इसा राजस्थान्या माय बाटगी !!!!!
♥
ReplyDeleteआदरजोग …
घणैमान रामराम सा !
उण"राजस्थानी" रो सुझाव सुण'र तो म्हारौ माथो ई घूम्यो सा…
भोळपणै में आपां रै हाथां सूं ई आपां री आवण आळी पीढ्यां रौ नुकसाण हुय रह्यो है …
आप खातर म्हैं म्हारी लिखी रचना पीड़ पचीसी मांय सूं दो दूहा निज़र करूं -
निज भाषा, मा, भोम रौ , जका नीं करै माण !
उण कापुरुषां रौ जलम दुरभागां री खाण !!
जायोड़ा जाणै नहीं जे जननी री झाळ !
उण घर रौ रैवै नहीं रामैयो रिछपाळ !!
आपरै अठै आ'र घणो चोखो लाग्यो सा
आपनैं ई म्हारै ब्लॉग पर आवण रौ नूंतो है सा …
आपनैं सगळै कुटम-कबीलै समेत
लारला सगळा परव अर तिंवारां सागै
आवण आळा सैंग उछब-मंगळदिनां वास्तै
♥ मोकळी बधाई और शुभकामनावां !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार