Saturday, August 6, 2011

ओ काई !!!!


राजस्थान री प्राथमिक शिक्षा री स्थीति चरचा ही | 
म्हारो मत हो के आ राजस्थानी माय नी होण सु घनकारा टाबर 
रो विकास कोण होवे | इरो कारण ओ  ह के टाबर रे घरा माय राजस्थानी वापरीजे |
म्हारी जाण हु इरो इलाज राजस्थानी माय शिक्षा हो |
पण एक "राजस्थानी" रो सुझाव सुण'र म्हारो माथो घुम्यो :-
"हरेक राजस्थानी को घर मे हिंदी बोलनी चाहिये और बच्चो के साथ भी 
बोलनी चाहिये, ताकी बच्चो को स्कूल मे दिक्कत नही हो"|

ओ काई !!!!!!!!!

मणे Britain री महाराणी री एक बात याद आई |
जद भारत माय अकाल हो, थो कोई बीने कयो क  भारत माय 
लोगा कण रोटी कोणी खाण ताई | राणी रो पडूतर हो क रोटी कोणी थो 
cake जीमो !!!!!!!
राणी गी  पण आपणी बुद्धि इसा राजस्थान्या माय बाटगी !!!!!

1 comment:





  1. आदरजोग …
    घणैमान रामराम सा !

    उण"राजस्थानी" रो सुझाव सुण'र तो म्हारौ माथो ई घूम्यो सा…
    भोळपणै में आपां रै हाथां सूं ई आपां री आवण आळी पीढ्यां रौ नुकसाण हुय रह्यो है …

    आप खातर म्हैं म्हारी लिखी रचना पीड़ पचीसी मांय सूं दो दूहा निज़र करूं -
    निज भाषा, मा, भोम रौ , जका नीं करै माण !
    उण कापुरुषां रौ जलम दुरभागां री खाण !!

    जायोड़ा जाणै नहीं जे जननी री झाळ !
    उण घर रौ रैवै नहीं रामैयो रिछपाळ !!


    आपरै अठै आ'र घणो चोखो लाग्यो सा
    आपनैं ई म्हारै ब्लॉग पर आवण रौ नूंतो है सा …

    आपनैं सगळै कुटम-कबीलै समेत
    लारला सगळा परव अर तिंवारां सागै
    आवण आळा सैंग उछब-मंगळदिनां वास्तै
    ♥ मोकळी बधाई और शुभकामनावां !♥
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete