Thursday, February 2, 2012

दुख

सुन'र  जी  भाषा रा गीत, 
रजपूत बनया हा रणजीत ||
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आज किया बा हिन्दी हु चित ?

  

Tuesday, November 8, 2011

अनपढ

एक  राजस्थानी रो Interview :
प्र. आपरी दीठ हु बंगाली,  हिंदी सावळ क्यू कोण बोले ?
पढोतर : अरे बा री मायडभासा हिंदी कोणी, जद ही बे लाई सावळ कोण बोले |

प्र. आपरी दीठ हु राजस्थानी,  हिंदी सावळ क्यू कोण बोले ?
पढोतर : अठे घणकरा अनपढ ह  !!!!  


Tuesday, October 18, 2011

नुवो चलन


बिदेसा माय  रेण आला घणकरा कुवारा आजकाळे ब्याव हु 6-7 मी'णा पेली भारत आ'र  court marriage करे | 
म्हारा घणकरा भायला  ईन गजब रीत रो पालन  करयो |
इरो main  कारण बे  पत्नी रे  residence permit माय लागण आलो time  बताया |
residence permit  माय 6-7 मी'णा रो time लागे | 
residence permit ने आपा बिदेश माय रेबा रो कागद के' सका, अर 
पत्नी रे residence permit  सारू marriage certificate चावे |
अब आप court marriage करबा रो कारण समझ ग्या होसी |
 marriage certificate, court marriage हुता  ही कणे आ जासी |
marriage certificate मिलता ही बे आपनी लुगाई रो residence permit  ताई  apply कर देसी | 
कुल मिलार, ब्याव ताई लुगाई रो residence permit आ जासी, 
अर बिंद-बीन्दनी ब्याव होता हि सागे बिदेस व्हीर हु सके |

आ अजब सी रीत रा काई कारण हु सके ?
१) छोरा री आपनी लुगाई हु घणी प्रीत ?
२) छोरो आपणा घराला पे बिश्बास कोणी करे ?
३) छोरी सास हु डरे ?
४) छोरी सासरे माय कोण रे'ण चावे ?
कारण की भी हो, पण  आ रीत म्हारी दीठ हु ,  नगरा माय एकल परिवार रे चलन अर 
संजुक्त परिवार रे बिघटन रो प्रतीक ह |

Saturday, September 10, 2011

रटबा रो कारण

    रटबा री भारतीय संस्कृती पे "प्रो.  अरुण बागची" रो एक लेख पढयो |
ओ लेख आप अठे बाच सको  Anatomy of cramming (25 August 2011 ) |
   इरा  कि हिस्सा रो  भावार्थ (अनुवाद कोणी) रो प्रयास  अठे करू |

"रटबा री संस्कृती रो मुख्य कारण भणबा री भाषा ह |
स्वतंत्रता पेली,  सकुला माय  घणकरा बिसया सारू  अंग्रेजी भणबा री भाषा ही (अठे "प्रो बागची " रो अरथ बंगाल  हु ह ) |
बिसया ने समझन खातर, बिद्यार्थी पेली बीणे मायडभाषा माय अनुबाद करता |
ओ टाबर  ताई  घणो दोरो हो |  ईन कारण टाबर बिसय ने रटता अर परीक्षा माय बिया ही छापता |
ईसा  टाबर पछ मास्टर हुया, अर जिया बे सिख्या बिया ही टबारा ने पढाया |
ओ अग्यान रो भवर इया ही पिढीया ताई जीवतो रेयो |"

        राजस्थान माय टाबार अंग्रेजी हु हिंदी, अर  पछ   हिंदी हु मारवाडी अनुवाद करणो पडे |
  ओ तो double दोरो काम ह !!!!!
जद ही  घणकरा  टबारा रो जी  पढाई माय कोण लागे , जद हि घणकरा 9 -10 'वी ताई हि पढाई करे |
म्हारी दीठ हु समुचो लेख ज्ञानवर्धक ह, सगळा ने बीणे बाचबा री अरज करू |

Saturday, August 6, 2011

ओ काई !!!!


राजस्थान री प्राथमिक शिक्षा री स्थीति चरचा ही | 
म्हारो मत हो के आ राजस्थानी माय नी होण सु घनकारा टाबर 
रो विकास कोण होवे | इरो कारण ओ  ह के टाबर रे घरा माय राजस्थानी वापरीजे |
म्हारी जाण हु इरो इलाज राजस्थानी माय शिक्षा हो |
पण एक "राजस्थानी" रो सुझाव सुण'र म्हारो माथो घुम्यो :-
"हरेक राजस्थानी को घर मे हिंदी बोलनी चाहिये और बच्चो के साथ भी 
बोलनी चाहिये, ताकी बच्चो को स्कूल मे दिक्कत नही हो"|

ओ काई !!!!!!!!!

मणे Britain री महाराणी री एक बात याद आई |
जद भारत माय अकाल हो, थो कोई बीने कयो क  भारत माय 
लोगा कण रोटी कोणी खाण ताई | राणी रो पडूतर हो क रोटी कोणी थो 
cake जीमो !!!!!!!
राणी गी  पण आपणी बुद्धि इसा राजस्थान्या माय बाटगी !!!!!

Saturday, June 25, 2011

दुविधा

म्हारे मन माय कदी-कदी बिचार आवे कि जद राजस्थानी blog अत्ता जणा पढे कोणी तो 
क्यूनी  आपणा बिचार English अर हिंदी blog माथे लिखू | 
पण राजस्थान री बाता राजस्थानी माय कोण लिखा तो किमे लिखा !!!!
कोई नुवो जणो, जड कदी राजस्थानी इंटरनेट माथे  हेर सी, तो बीने कि थो मिलणो चाय |
आ सोच म्हारी तो दुविधा मटगी !!

Thursday, May 5, 2011

साफो दिवस


साफो आपनी ओळख ह | आपा ईणे बार-त्योहार तो पेरा हि हा |
पण आजकाले जुवा पीढी ईणे अत्तो कोण चावे | 
ईन सारू एक बिचार मन माय आयो,  कि आपा एक बरस माय 
दो दिन "साफो दिवस" मानावा - एक उन्याले माय आर एक सियाले माय |
ईन दिन आपा घरा हु बारे साफे माय निसरा | 
इयु आपा री संस्कृती ने मान्यता मलसी, देश माय आपनी न्यारी ओळख बनसी | 
थाने ओ विचार किसो लाग्यो ?

म्हारी दीठ हु,  समूचा प्रदेश माय एक तिथी न  करबा हि चोखो ह, 
मोट्यार परीसद रो जवान बाचे ह के अठे ?

Monday, April 25, 2011

भारत क जनसंघ

इया ही एकर चरचा करता थका, एक घणी पढेडी  बेंगाली महिला मणे कि'  के 
  बेंगाली एक जाति ह अर म्हे भारत री संथाली जाति न छोड'र 
कीउ कोण मिला | 
पण बेंगाली एक जाति कोणी आ एक भासा-समूह ह,   इणे जात हु 
किया जोड सका | आ ही बात म्हे बीने  कि' |
इसो भरम मणे सगळा भारतीय माय लादयो, की प्रदेसा (जिया राजस्थान, हरयाणा etc ) न छोड'र |   

इया ही  हिंदू नयो-साल भी चीनोक अपवाद न  छोड'र लगे-टके एक दिन ही पडे,
  पण जिणे मिलो बो के'सी -- मराठी नववर्ष , तेलेगु नववर्ष,   तमिळ  नववर्ष etc. 

ए सगळा  वर्गीकरण आपा राजस्थान सारू भी कर सका,
पण आपा कदी करयो  कोणी | आपणा  ताई देश पेली -प्रदेश पछ |
आपणा ताई भारत-भारत ह , जनसंघ कोणी |
पण इरो काई लाभ हुयो ?

Saturday, March 5, 2011

ओ किसो भूत ?


म्हारी मामा री बेटी-भाण  रो एकर फोन आयो |
बा उतावळ माय  केयो -- "दादभाई माय भूत बडग्यो"|
"किया ?"  म्हे पूछ्यो |
"आज ताई दादभाई म्हारा हु हिंदी माय बात कोण करी,  
काल अचाणचक फोन माथे किया करबा लाग्या ?" पडूतर आयो |
"दारू पिली होसी " म्हे कियो | 
"ना ना पियेडा कोण हा, बामे भूत बडग्यो" ....
म्हारी आ भाण घणी पढेडी-भनेडी कोणी,
 पण "हिंदी रे भूत" ने बेगी सी ओळख ली |
राज (राजस्थान) रा पढेडा-भनेडा  बीरा तो इण  भूत ने ओसकर पकड मेल्या ह !!!!!! 

Saturday, January 8, 2011

हिवडे री भोभर, काया ने बाळे

"हिवडे री भोभर, काया ने  बाळे" ओ गीत सुण्यो |
आ कत्ती साची बात कही कबि |
घणी ही बाता  हिवडे  ने  रे-रे'र बाळे |
लाय तो पछ कम हुवे पण भोभर कदेइ राख कोण बने |
आपा इन भोभर रे सागे आखो  जीवन काढ देवा |
कोई पिसा री भोभर सागे राखे थो कोई जुनी राड री |
कोई प्रीत री, तो कोई पद री |
इण भोभर रो काई तो इलाज होसी ?

Sunday, October 17, 2010

भविष्य

गैलडी बर जद छुटिया माय घरा गयो तो पेली-बर
ढाई बरस री रेखा हु मल्यो | रेखा म्हारे  दूर रा दादभाई री बेटी ह |
अबार बे से'र माय  म्हारे  घरा ही रेवे |  रेखा जद बोलणो सीखी ही |
जद बा मारवाड़ी बोलती तो घणी सुणी लागती अर्
म्हाने लागतो  क  रजस्थानी रो भविष्य अत्तो माडो कोणी |
इ  बर जद  घरा ग्यो, तो रेखा हिंदी माय बोलबा लागी | म्हाने अचरज हुयो |
म्हे रेखा न पुछ्यो जद बा कयो -" मम्मी मारवाड़ी नहीं बोलने देती " | 
अब राजस्थानी रे भविष्य न  ले'र डर लागे |

 

Tuesday, September 21, 2010

फुली बाई

अबार इया ही बात करता थका फुली बाई रो नाव सुण्यो | 
म्हे थो बा रे बारा म अत्तो जाणतो कोणी, जत्ती सूचना मने लादी
बत्ती अठे मांडु हु | थाने अरज ह के जदी थार कण और सूचना होवे थो मणे भिजावो |

फुली बाई जोधपुर कणे री राम-भगत  ही, बस राम-राम करती अर थेपडी थापती |
एकर बिरी थेपडीया एक लुगाई चुरा ली | जद फुली बाई न ठा चाल्यो, थो बे  बी लुगाई   कण गिया
अर केयो कि म्हारी   थेपडीया पाछी कर |  अत्तो सुनता ही बा लुगावडी फुली बाई हु लडबा लागी |
 जद लोग भेला हुग्या अर फुली बाई हु पुछ्यो  क
थाने किया ठा के थारी थेपडीया इ कण ह | भगत फुली बाई केयो के म्हारी थेपडीया  फोडस्यो  जद   राम -राम
करसी | लोग अचरज माय पड्ग्या |   थेपडीया फुटता ही राम-राम करे | सगळा न फुली बाई री
भगती रो परचो मलग्यो |
आ बात बठे री राणीया कण पूगी, बे फुली बाई रे कण जोधपुर आबा रो संदेसो खिणायो|
फुली बाई जोधपुर पधारी, जद राणीया बाणे केयो के म्हाणे ही कि परवचन सुनावो |
"गैणो-गाठो तन री सोभा , काया माटी रो हाण्डो |
बैठी काई करो ये , राम भजो ओ रांडो |"   
अत्तोक परवचन देर, फुली  बाई थो आपका पाछी गी अर थेपडीया थापबा माय रमगी |

Friday, August 20, 2010

पेली अर् आज

रजस्थान री पेली अर् आज री स्थिती पे इक पाणों :-

पेली  जात ही पण पात कोणी -- आज जातपात व्हेगी |
राजा हा पण चोर कोणी -- आज चोरडा नेता व्हेग्या |
माण हो पण थोथो कोणी -- आज थोथो गुमाण रेग्यो |
भासा ही पण हिंदी कोणी -- आज हिंदी व्हेगी |
माड़ा हा पण बीमारू कोणी -- आज सगला आपा न बीमारू केवे |
भोला हा पण अचेता कोणी -- आज राजस्थान री चेतना काईठा कठे गी |
मोट्यार हा पण रुलता कोणी -- आज रुलता मोट्यार व्हेग्या |
सिंह हा पण गिंडकडा कोणी --- आज गत गिंडकडा जू व्हेगी ( आपनी छोड़'र फेकेडी बोला ) |

Sunday, July 18, 2010

वैणसगाई अलंकार

घणा दिना हु मन मा आस ही क राजस्थानी व्याकरण पढू  अर् जानू क राजस्थानी किन-भात हिंदी हु नयारी ह |
इया ही एकर पढ़ाता  थका इक अलंकार माथे निजारा गी -"वैणसगाई"|
ओ अलंकार हिंदी अर् संस्कृत माय कोण लाधे |
म्हे म्हारे निकरमा रजस्थानी ( क delhi !!! ) नेता री किरपा हु बालपना माय रजस्थानी पढ़ी आथ कोणी,
जदी ओ अलंकार म्हारी हिंदी-बुद्धि माय कोण बड्यो | पण ओ अलंकार अत्तो दोरो कोणी, अर् समझया पछ
लागे क ओ अलंकार आपनो सेनाऊ लोकप्रिय अलंकार ह |


वैणसगाई रो अरथ ह - वरणा  री  एडी  सगाई (संबध ) क चोखी  लागे | 
जिया "पूत सिखावे पालने, मरण बड़ाई माय " |
इमे प्रथम चरण माय 'प' आवे पेली अर् आखर सबद माय , अर् दूजा चरण माय 'म' आवे पेली अर् आखर सबद माय|

ओ मेळ, चरण रा  पेला  सबद रो  पेलो वरन अर्  आखर सबद रा बिचरला या  आखरी वरन हु भी हु सके |
जिया 'गरज किया सु वागरी, कदे न तजे सिकार '

इमे प्रथम चरण माय 'ग' आवे पेलीपोत रा सबद रे सरू माय , अर् आखर सबद रे बिच माय  |
इया ही दूजा चरण माय 'क' आवे  |

ओ अलंकार  अत्तो रसीलो मानिजतो क,  जका काव्य माय इनरो परयोग हुतो, बीमे कोई दोस  कोण  काढतो |

Wednesday, June 9, 2010

बाप-बेटो

टाबरपणो :-
बाप-बेटो आपसरी माय बोक्सिंग रमा हा.
गलती हु बेटा रो हाथ बाप रे  दांता माथे लाग्यो अर् बठेऊ लोय कढग्यो |
बाप बेटा न देख'र , बिने लाड करबा लाग्यो |

मोट्यारपणो :-
एकर बेटो  आपनी भू अर् ककोसा-काकीसा   न लेर मिन्दर जावे हो, जाती वेला बाप बेटा हु कियो  क मन्ने ही ले चाल| 
बेटो 'जिगह कोणी'  बोल'र  व्हिर हुओ.  
बेटा री माना तो वीरो बाप इक हारेडो मिनख ह, बो बीने  .. पछ ... पछ .. कोण दी .

हारेडो मिनख कुण ह, ओ प्रश्न अतो दोरो  कोणी !!!

Monday, May 24, 2010

मोखया/मोरी रो बिज्ञान

बारे कती ही लू बाजे,  पण  आपा कदी  काचा मकान अर् झुपा माय बड़ा तो बठे रो तापमान
कम लाधसी | इरो कारण म्हे जानबा रो परयास करयो | पेलीपोत आपा जद भी झुपा माय
बड़ा तो आपाने बठे घणी सारी मोरिया लाधसी अर् घनकरी बेला खिड़की बंद रेसी |
 इब  ओ तो स्पष्ट  ह क पुन मोरिया मायकर आवे ह,   पण इसो काई चमत्कार हुगयो क
बारे  45 degree री लू , मायने ठंडी हूगी |  ओ इक सरल सो नियम ह बिज्ञान रो : throttle effect .
जद  पुन इकसार  pressure माथे,  insulated मोरी माय कढ़े, तो बीरो  तापमान कम होसी.
अठे मोरी जती लांबी, छोटी, अर् घणी होसी, तापमान बत्तो ही कम होसी.  

आज रा पाका मकाना, माय भी आपा इ बिज्ञान रो परयोग  कर सका, जरुरत ह चिनिक research री.

ओ पुरखा रो ज्ञान अबार रुळतो जावे ह !!!

Friday, April 9, 2010

जनगणना

सगला राज रा बीरा न अरज ह  के ,  इन जनगणना माथे आपरी भासा राजस्थानी ही मंडाया |
अर् जको भी मिनख मिले , बिने ओ सन्देश सुनाया |

इन सारु बाचो :

http://www.bhaskar.com/2010/04/04/423261-837529.html

Friday, April 2, 2010

चीळवो

एकर मंडी गियो  | चीळवा  कण निजर गी  | सब्जी आलो हेला पाड रियो हो  - " बथुओ .. रूपया "
महे कियो  " की बरस पेली ओ  तो  चीळवो ई बाजतो  , अब नाम किया बदलग्यो " |
"हिंदी में ये ही कहते है " उत्तर आयो कटेहु |
म्हे "बथुओ" ले-अर्  घरा आग्यो पण चीळवा री  मन माय रेगी ।

Saturday, January 23, 2010

Rajasthani and Irish Language

Please compare the history of Irish language with our mother tongue Rajasthani.
Following is written in Wikipedia about Irish language :

"From the eighteenth century the language went into a decline, rapidly losing ground to English due in part to restrictions dictated by British rule - a conspicuous example of the process known by linguists as language shift।[16] In the mid-nineteenth century it lost a large portion of its speakers to death and emigration resulting from poverty, particularly in the wake of the Great Famine (1845–1849)."

Now we can note some similarities:

1) Official work/Schooling in Rajasthan is not allowed in Rajasthani language
. So, we are forced to use Hindi.


2) If you get a degree in Rajasthani, you will get no job. 
Means, Rajasthani speakers will remain poor।


3) It took 100-150 years to wipe out Irish language completely. So, after 30-40 years there will be very few Rajasthani speakers. Unfortunately, we already lost our mahajani script in last sixty years.





Can we learn something from History ?